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वन विकास निगम में भ्रष्टाचार का नया खेल , कूप से कटाई हुई नहीं लेकिन हो गया घालमेल ।

बिना कूप कटाई के जमा हो गई लकड़ी और बन गए बिल व्हाउचर ।

दबंग न्यूज लाईव
रविवार 20.04.2025

कोटा / बिलासपुर -वन विकास निगम के कोटा परियोजना में गड़बड़झाला का एक नया मामला सामने आया है । इन दिनों वन विकास निगम में कूप कटाई का काम चल रहा है । कोटा परियोजना के लगभग सभी कूपों में लकड़ी कटाई चल रही है जिसके लिए विभाग के द्वारा कूपों में पेड़ों को चिन्हित किया जाता है उसके बाद किस कूप से कितने पेड़ कौन कौन से कटेंगे इसकी सूची बनाई जाती है , साथ ही सीमांकन , सेंपल प्लॉट के साथ गेरू पट्टा और मार्किग हैमर लगाया जाता है I

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लेकिन सूत्रों से पता चला है कोटा परियोजना के कूप क्रमांक 170 ए और कूप क्रमांक 170 डी में कटाई के लिए पेड़ों को चिन्हित तो किया गया लेकिन यहां से एक भी पेड़ की कटाई नहीं हुई । इन कूपों में ना तो कटाई के बाद ठूंठ हैं ना कटाई का हैमर है ना ही निकासी परिवहन के लिए कोई रास्ता बनाया गया है और ना ही झोपड़ी का ही निर्माण कराया गया है ।

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कूप क्रमांक 170 ए और डी में कुल मिलाकर लगभग चौदह सौ से अधिक पेड़ों की कटाई होनी थी लेकिन यहां के रेंजर विवेक देवांगन ने इन कूपों में कोई कटाई नहीं करवाई । सूत्रों से ये भी पता चला है कि इन कूपों में बिना कटाई के ही कोटा डिपो में इन कूपों की लकड़ी का परिवहन हो गया है ।

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सवाल ये उठता है कि जब इन कूपों में पेड़ों की कटाई नहीं हुई है तो फिर किस कूप की लकड़ियों को इस कूप का बताकर परिवहन कर दिया गया ? क्या इन कूपों में पेड़ों की कटाई में लगने वाले खर्चे के भी बिल व्हाउचर्स बना कर ये राशि निकाल ली गई है ? और क्या दूसरे कूप में तय मात्रा से अधिक पेड़ों की कटाई हो गई है ? तीनों ही सवाल गंभीर है और इनमें जांच की आवश्यकता है ।

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इस जानकारी के बाद हमारी टीम ने इन कूपों का निरिक्षण भी किया था जिसमें मार्किग वाले पेड़ जिनकी कटाई होनी थी वो सही सलामत खड़े थे लेकिन जब डिपो के आवक जावक की जानकारी ली गई तो चौंकाने वाला मामला सामने आया यहां मार्च में ही इन कूपों से कटे पेड़ों की लकड़ियों का परिवहन हो गया था ।

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इस संबंध में वन विकास निगम के रेंजर विवेक देवांगन से बात की गई तो उनका कहना था -कटाई तो हो गई है फिर भी हो सकता है कुछ गलती हो गई हो मैं देख लेता हूं ।

सवाल ये उठता है कि इस इस क्षेत्र के सबसे जिम्मेदार रेंजर होने के बाद भी उन्हें इस संबंध में या तो जानकारी नहीं है या फिर वे जानकारी देना नहीं चाहते हैं । ऐसा कैसे हो सकता है कि जहां कटाई हुई है वहां कटाई के कोई निशान तक मौजूद ना हो । बहरहाल देखना होगा इस मामले में विभाग क्या जांच करवाता है और कैसी कार्यवाही करता है ?

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